Monday, 31 December 2012

Tuesday, 25 December 2012

जीव दंगला गुंगला रंगला असा.................



  • जीव दंगला गुंगला रंगला असा
  • जीव दंगला गुंगला रंगला असा
  • पीरमाची  आस तू 
  • जीव लागला  लाभला 
  • ध्यास ह्यो तुझा
  • गहिवरला श्वास तू

  • पैलतीर नेशील
  • साथ मला देशील
  • काळीज माझा तू 

  • सुख भरतीला आलं
  • नभ धरतीला आलं
  • पुनावाचा  चांद तू 

  • जीव दंगला गुंगला रंगला असा
  • पीरमाची  आस तू 
  • जीव लागला  लाभला 
  • ध्यास ह्यो तुझा
  • गहिवरला श्वास तू

  • चांद सुगंधा येईल
  • रात उसासा देईल 
  • सारी धरती तुझी
  • रुजाव्याची माती तू 

  • खुलं आभाळ ढगाळ 
  • त्याला रुढीचा ईटाळ
  • माझ्या लाख सजणा
  • हि काकाणाची तोड माळ तू 
  • खुण काळीज हे माझं तुला दिलं मी आंदन
  • तुझ्या पायावर माखीन माझ्या जन्माचा गोंधळ 


  • जीव दंगला गुंगला रंगला असा
  • पीरमाची  आस तू 
  • जीव लागला  लाभला 
  • ध्यास ह्यो तुझा
  • गहिवरला श्वास तू



  • स्वर: हरिहरन आणि श्रेया घोशाल
  • संगीत : अजय अतुल 
  • चित्रपट : जोगवा


Friday, 9 November 2012

!! गायत्री मंत्र !! Gayatri Mantra




Meaning Of Gayatri Mantra:

OM. I adore the Divine Self who illuminates the three worlds -- physical, astral and causal; I offer my prayers to that God who shines like the Sun. May He enlighten our intellect.  

Meaning Of Each Word:

ॐ = same as `OM' i.e. the praNava or `o.nkAra' mantra; 
भूर्भुवः = the Earth and the world immediately above the earth; 
स्वः = one's own; 
तत्सवितुर्वरेण्यं = that all creating great person in the form of sun; 
भर्गो = radiance; luster; brilliance; 
देवस्य = god's; 
धीमहि = May meditate; 
धियो = intellect and mind ;
यो = He who; 
नः = us; to us or ours; 
प्रचोदयात् = inspire; kindle; urge; induce;

Saturday, 3 November 2012

Today’s World



Some Facts of today’s World


* Today we have Bigger house
but
Small Families..

* More degrees yet Less common
Sense..

* Advanced Medicines but Poor
Health..

* Touched Moon but No contacts
with Neighbors..

* High Income yet Less Peace of
mind..
And we say it’s Modern Life..

Tuesday, 16 October 2012

!! God !!












आम्ही अशा देशात राहतो!





आम्ही अशा देशात राहतो!...............................

जिथं पोलिस आणि रुग्णवाहिकेपेक्षाही लवकर तुमच्या घरी "पिझ्झा" पोह्चतो,
जिथं वाहन कर्ज ५% तर शैक्षणिक कर्ज १२% नी मिळतं,
जिथं तांदुळ ४० रु. किलो तर "सिमकार्ड" मोफत मिळतं,
जिथं एक लखपती लाखो रुपये देवुन क्रिकेटचा संघ विकत घेतो,मात्र तीच रक्कम दान नाही करत,
जिथं पायात घालायच्या चपला/ बुटं वातानुकुलित दुकानात विकली जातात तर पोटात घालायच्या पालेभाज्या उघड्या रस्त्यावर विकल्या जातात,
जिथं प्रत्येकाला प्रसिध्दी हवी आहे, मात्र त्यासाठी कुणी सत्-मार्ग अवलंबण्यास तयार नाही,
जिथं लिंबाच्या पेयात कृत्रिम स्वाद मिळवला जातो, मात्र भांडी धुण्याचा साबणात अस्सल लिंबु असतं,
जिथं चहाच्या टपरीवर लोक "बालमजुरी"वरच्या वर्तमान पत्रातील बातम्यांवर चर्चा
करतात - म्हणतात "यार, बाल-मजुरी करवणार्‍यांना फासावर लटकवलं पाहिजे".. 

आणि नंतर आवाज देतात...."छोटु....दोन चहा घेऊन ये...!"



Saturday, 13 October 2012

My car












!! ॐ !! आत्मा का संगीत OM


 ॐ आत्मा का संगीत

ओम का यह चिन्ह 'ॐ' अद्भुत है। यह संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक है। बहुत-सी आकाश गंगाएँ इसी तरह फैली हुई है। ब्रह्म का अर्थ होता है विस्तार, फैलाव और फैलना। ओंकार ध्वनि के 100 से भी अधिक अर्थ दिए गए हैं। यह अनादि और अनंत तथा निर्वाण की अवस्था का प्रतीक है।

ॐ को ओम कहा जाता है। उसमें भी बोलते वक्त 'ओ' पर ज्यादा जोर होता है। इसे प्रणव मंत्र भी कहते हैं। इस मंत्र का प्रारंभ है अंत नहीं। यह ब्रह्मांड की अनाहत ध्वनि है। अनाहत अर्थात किसी भी प्रकार की टकराहट या दो चीजों या हाथों के संयोग के उत्पन्न ध्वनि नहीं। इसे अनहद भी कहते हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड में यह अनवरत जारी है।

तपस्वी और ध्यानियों ने जब ध्यान की गहरी अवस्था में सुना की कोई एक ऐसी ध्वनि है जो लगातार सुनाई देती रहती है शरीर के भीतर भी और बाहर भी। हर कहीं, वही ध्वनि निरंतर जारी है और उसे सुनते रहने से मन और आत्मा शांती महसूस करती है तो उन्होंने उस ध्वनि को नाम दिया ओम।

साधारण मनुष्य उस ध्वनि को सुन नहीं सकता, लेकिन जो भी ओम का उच्चारण करता रहता है उसके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का विकास होने लगता है। फिर भी उस ध्वनि को सुनने के लिए तो पूर्णत: मौन और ध्यान में होना जरूरी है। जो भी उस ध्वनि को सुनने लगता है वह परमात्मा से सीधा जुड़ने लगता है। परमात्मा से जुड़ने का साधारण तरीका है ॐ का उच्चारण करते रहना।

*त्रिदेव और त्रेलोक्य का प्रतीक : 
ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है। यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी है और यह भू: लोक, भूव: लोक और स्वर्ग लोग का प्रतीक है। 

*बीमारी दूर भगाएँ : तंत्र योग में एकाक्षर मंत्रों का भी विशेष महत्व है। देवनागरी लिपि के प्रत्येक शब्द में अनुस्वार लगाकर उन्हें मंत्र का स्वरूप दिया गया है। उदाहरण के तौर पर कं, खं, गं, घं आदि। इसी तरह श्रीं, क्लीं, ह्रीं, हूं, फट् आदि भी एकाक्षरी मंत्रों में गिने जाते हैं।

सभी मंत्रों का उच्चारण जीभ, होंठ, तालू, दाँत, कंठ और फेफड़ों से निकलने वाली वायु के सम्मिलित प्रभाव से संभव होता है। इससे निकलने वाली ध्वनि शरीर के सभी चक्रों और हारमोन स्राव करने वाली ग्रंथियों से टकराती है। इन ग्रंथिंयों के स्राव को नियंत्रित करके बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है।

*उच्चारण की विधि : प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं। इसका उच्चारण 5, 7, 10, 21 बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ॐ जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ॐ जप माला से भी कर सकते हैं। 

*इसके लाभ : इससे शरीर और मन को एकाग्र करने में मदद मिलेगी। दिल की धड़कन और रक्तसंचार व्यवस्थित होगा। इससे मानसिक बीमारियाँ दूर होती हैं। काम करने की शक्ति बढ़ जाती है। इसका उच्चारण करने वाला और इसे सुनने वाला दोनों ही लाभांवित होते हैं। इसके उच्चारण में पवित्रता का ध्यान रखा जाता है।

*शरीर में आवेगों का उतार-चढ़ाव : 
प्रिय या अप्रिय शब्दों की ध्वनि से श्रोता और वक्ता दोनों हर्ष, विषाद, क्रोध, घृणा, भय तथा कामेच्छा के आवेगों को महसूस करते हैं। अप्रिय शब्दों से निकलने वाली ध्वनि से मस्तिष्क में उत्पन्न काम, क्रोध, मोह, भय लोभ आदि की भावना से दिल की धड़कन तेज हो जाती है जिससे रक्त में 'टॉक्सिक' पदार्थ पैदा होने लगते हैं। इसी तरह प्रिय और मंगलमय शब्दों की ध्वनि मस्तिष्क, हृदय और रक्त पर अमृत की तरह आल्हादकारी रसायन की वर्षा करती है।




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